मेरी एक झलक पे , उनको याद जमाने आते हैं !!
देखलो ! हमें कैसे -कैसे करतब दिखाने आते हैं !!
माँगा है खून-ऐ -दिल ,गुस्ल-ऐ-सेहत को उसने !!
हौसले हमारे , ज़ालिम को यूँ आजमाने आते हैं !!
बस उनको हक है ,जिक्र -ऐ -मुहब्बत करने का !!
मकान-ऐ -दिल में जिनको ,गम सजाने आते हैं !!
बस यहीं फ़र्क है , क़ामयाब-ओ-नाकामयाब में !!
एक बहाने नहीं करता , एक को बहाने आते हैं !!
वो पहरो तेरे जानूं पे , सर रख के लेटे रहना !!
छोड़ो अब , लम्हें लौट कर कहां पुराने आते हैं !!
हम दोनों ही माहिर हैं , अपने- अपने फन में !!
वो फैरेब देता है , और मुझको खाने आते हैं !!
मुश्किल तो ये , कि हर हल में एक मुद्दा है !!
और आसां ये कि सबको हल बताने आते हैं !!
ये वक़्त तो , वक़्त -ऐ जुदाई ही ठहर गया था !!
गरचे रुके वक़्त के पल , हमें बिताने आते हैं !!
गुस्ल -ये -सेहत = स्वास्थ्य के लिए स्नान
जानूं = जांघ
नरेन्द्र सहरावत
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