मुददत तक फिरता रहा, जाने किन बदगुमानियों में मैं !!
एक जिन्दगी को जीता रहा, हज़ार जिन्दगानियों में मैं !!
देख हारता हूँ अपनी बाजीयां , मंज़िल पर जाकर मैं !!
और लुत्फ़ उठाता रहता हूँ , औरों की हैरानियों में मैं !!
सबसे खाता हूँ फैरेब , और हंसता हूँ रस्मे-इश्क़ पर !!
मज़ा लेता हूँ रंगीनियों का, दिल की विरानियों में मैं !!
आशना हैं सारे तलातुम मुझसे, सारे सैलाब मुझसे !!
हूँ रोज़े - जलजलो में मै और शबे - तूफानियों में मैं !!
जब चढ़ता हूँ सर पे , तो ज़ल्वा - ओ - अदा में मैं !!
वफ़ा -ओ -खता में मै, नादानियों ,जवानियों में मैं !!
फ़रिश्तों के दिल की बात मुझमें नुमायाँ हो कभी !!
कभी पिन्हाँ हो जाऊ, सारी शैतानियों,हैवानियों में मैं !!
जाँऊ गुलशन में, तो बाद - ऐ - फिज़ा हो जाऊ मै !!
आऊं ज़मीं पे, तो नक्शा - ओ - निशानियों में मैं !!
तलातुम= ज्वार-भाटा
जलजला= भूकंप
नुमायाँ= प्रकट होना
पिन्हाँ= छुप जाना
नरेन्द्र सहरावत
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