नहीं कहता मगर फिर कह गया मैं ।।
अकेला था , अकेला रह गया मैं ।।
इधर तेरा चले जाना , उधर फिर ।।
जैसे सैलाब आया , बह गया मैं ।।
रहम कर अब मुझे आज़ाद कर दे ।।
असीरी के सितम सब सह गया मैं ।।
असीरी -- गुलामी
मुहब्बत का किला था जिस्म मेरा ।।
जुदाई की दीमक से , ढह गया मैं ।।
यहां थे तुम, यहां था मैं , गये तुम ।।
वहां तो , यह गया मैं वह गया मैं ।।
Narender Sehrawat
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