Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रुबाई

 

 

जिन आँखों में ख्व़ाब ना हो तुम सोचो ज़रा !!
जिस जुबां पे ज़वाब ना हो तुम सोचो ज़रा !!

 

ये दांस्ता तो मेरी नहीं लगती, शहरवालो !!
जिस कहानी में इंक़लाब ना हो तुम सोचो ज़रा !!

 

 

नरेन्द्र सहरावत

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