Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वो क़बा की जूँ लिपट कर सो गया

 

 

वो क़बा की जूँ लिपट कर सो गया ।।
मेरी बाहों में , सिमट कर सो गया ।।

 

रात शायद , ख्वाब में डरता रहा ।।
और सहमा सहमा सट कर सो गया ।।

 

जीत तो खरगोश भी जाता मगर ।।
बीच रस्ते में ही डट कर सो गया ।।

 

आज सब सूदो-ज़ियाँ मैं खत्म कर ।।
अपने माज़ी से निपट कर सो गया ।।

 

रात को ये शहर चुप है इस तरह ।।
जिंदगी से जैसे कट कर सो गया ।।

 

 


Narender Sehrawat

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