ये समंदर , कश्तियाँ ,पतवार सब बेकार हैं ।।
हौंसले बिन ये कदम लाचार सब बेकार हैं ।।
आप अपने मुहँ मियां मिठ्ठू बने हो क्यूँ भला ।।
ये नुमाइश, जश्न-ए- सरकार सब बेकार हैं ।।
है निशाना ही अगर कमजोर तो फिर जंग में ।।
बर्छी ,भाले ,तीर-ओ-तलवार सब बेकार हैं ।।
क्या हमें इंसाफ़ मिलता है ,नहीं, बस फैसले ।।
जो लगाये हैं , तूने दरबार , सब बेकार हैं ।।
Narender Sehrawat
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