तूने जो दिल पे लिखा है वो मिटाऊं कैसे?
आग सीने में लगी है तो बुझाऊं कैसे?
मैंने जुगनू से मेरे यार हुनर सीखा है,
अपने आँगन में चरागों को जलाऊं कैसे?
तू नयी जंग को आमादा नज़र आता है,
मैं गए दौर के ज़ख्मों को दबाऊं कैसे?
अब तो कोयल का चहकना भी बुरा लगता है,
तेरी आवाज़ के जादू को भुलाऊं कैसे?
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