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अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम

 

व्यंग्य

अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम

नवेन्दु उन्मेष

मलुकदास पहले ही कह चुके हैं कि ’अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।‘ यह
बात मोदी के राज में सच साबित हो रही है। लाक डाउन के दिनों में जब आदमी
कमाने के लिए घर से नहीं निकल रहा है तब आप कह सकते हैं ’-आदमी करे न
चाकरी, पंछी करे न काज, दासमलुका कह गये सबके दाता मोदीराम।‘ मतलब साफ है
कि लाकडाउन के दिनों में लोग मोदी के भरोसे घर में मुंह छुपा कर बैठे
हैं। वर्तमान समय में सभी के दाता मोदी बने हुए हैं। यहां तक कि राज्य
सरकारें भी मोदी से आर्थिक मदद मांग रही हैं। मोदी दें तो राज्य सरकारों
का भी काम चले और मोदी न दें तो राज्य सरकारें अजगर की तरह लेटी रहें।
इतिहास में पहला अवसर है जब कोई भी आदमी काम करने के लिए घर से नहीं निकल
रहा है। पहले मां-बाप बेटे से कहते थे कि कुछ काम करते क्यों नहीं लेकिन
अब मां-बाप के अलावा सरकार भी कह रही है कि काम करने की जरूरत नहीं है।
घर में बैठे रहो। तुम्हारे खाने-पीने का बंदोबस्त घर पर ही कर दिया
जायेगा। इसलिए लोग मुंह में पट्टी लगाये घर में बैठे हैं। इससे यह भी पता
चला है कि गांधीवाद के सिद्धांतों का भी पालन लाकडाउन के दिनों में
भलीभांति हो रहा है। पहले जो लोग रोज-रोज चिल्ला-चिल्ला कर देश की
बदहाली के लिए सरकार को कोसते थे वे भी आज गांधी जी के बंदरों की तरह
मुंह पर पट्टी बांधकर बैठे हैं। वे भी काम काज के लिए घर से नहीं निकल
रहे हैं। उनकी भाषण बाजी भी बंद है। पहले लोग कहते थे कि मोदी है तो सब
कुछ मुमकिन है। अब तो मोदी ने विरोधियों के मुंह भी बंद करा दिये हैं।
राजनीति के बड़े-बड़े धुरंघरों के मुंह बंद हैं। यहां तक कि वे घर से भी
बाहर नजर नहीं आ रहे हैं। जिन धुरंधरों के दरवाजे पर प्रतिदिन लोगों का
जमघट लगा रहता था वह भी अब बंद है।
मैं समझता हॅूं कि जब देश में लाकडाउन खत्म होगा तो लोग घरों से निकलेंगे
और मिलजुल कर गायेंगे ’-अरे भाई, निकल के आ घर से, आ घर से।‘ दुनिया बदल
गयी प्यारे सब कुछ बदल गया प्यारे।‘ तब सचमुच शहर में सब कुछ बदल चुका
होगा। पानी, नदी, झरने, सड़क, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में प्रवेश की
पद्धति और पूरा समाज। हर तरफ लोगों को नये बदलाव का अहसास होगा। जिस
फुलवारी में बुजुर्ग बैठकर आपस में बातचीत किया करते थे वहां बैठक कर
कहेंगे ’-बागो में बहार है, हमको तुमसे प्यार है।‘ तब दूसरे बुजुर्ग
कहेंगे ’-ना,ना,ना।‘ तब ऐसी ही होगी हमारी दुनिया। बाग तो होंगे, लेकिन
हमको तुमसे प्यार है वाली बातें नहीं होगी। लोग दूर से ही एक दूसरे को
देख कर मुंह छुपा लेंगे कि कहीं वह मेरी ओर मुखातिब न हो जाये। तब लोग यह
भी कहेंगे कि मैं तो अजगर की तरह घर में सरकार के भरोसे बैठे रहा। ‘ काम
काज करे न कोई, मोदी को भजे से मोदी का होई’ वाली भजन भी गा सकते हैं।



संपर्क

नवेन्दु उन्मेष
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राजा जेनरल स्टोर के सामने
रातू रोड, रांची-834005
झारखंड
संपर्क-9334966328

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