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कोरोना से लड़ना है तो ऑनलाइन चलना है

 

व्यंग्य


कोरोना से लड़ना है तो ऑनलाइन चलना है


नवेन्दु उन्मेष


कोरोना ने लोगों को बता दिया है कि कोरोना से लड़ना है तो ऑनलाइन चलना है।

बगैर ऑनलाइन चले कोरोना से दो-दो हाथ नहीं किया जा सकता। सामान खरीदना है

तो ऑनलाइन खरीदो। कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से भी लड़ना है तो

ऑनलाइन डाक्टरी सलाह पर निर्भर रहना होगा क्योंकि सरकारी अस्पताल सहित

अन्य अस्पतालों में अब सिर्फ कोरोनो संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है।

अस्पताल में आउटडोर बंद हैं। चिकित्सक आउटडोर में बैठने से कतरा रहे हैं।

यहां तक कि निजी क्लिनिक वाले चिकित्सक भी घर में दुबके पड़े हैं। यहां तक

कि कुछ चिकित्सक मरीजों को ऑनलाइन चिकित्सीय सलाह देने से मना कर रहे

हैं। कुछ चिकित्सक जो अपनी पेशा की लाज बचाये हुए है वे ऑनलाइन सेवा दे

रहे हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से बीमारी के बारे में जानकारी देने पर

दवा के संबंध में सलाह दे रहे हैं। फेसबुक में भी अब चिकित्सीय सलाह देने

वाला एक नया अस्पताल खुल गया है। समस्याएं बताओ तो सलाह देने वाले हजारों

तैयार बैठे हैं। इस बीमारी में यह दवा लीजिए, ऐसे दवा खाइये और ऐसे ठीक

हो जाइये।

कोरोना से लड़ने के लिए ऑनलाइन दवा खरीदो, ऑनलाइन आॅक्सीजन खरीदो, ऑनलाइन

पीपीई किट्स खरीदो यहां तक कि एंबुलेस भी ऑनलाइन ही आते हैं। अभी तक

मरीजों को एंबुलेस में लादने के लिए रोबोर्टस का इंतजाम नहीं किया गया है

अन्यथा एंबुलेंस के साथ रोबार्टस आते और मरीज को एंबुलेंस में लादकर

अस्पताल ले जाते।

लॉकडाउन के कारण कई राज्यों में दो पहिया और चार पहिया वाहनों के लिए

ऑनलाइन इ पास की व्यवस्था की गयी है। बगैर इ पास के कोई भी वाहन शहर में

नहीं निकल सकता। अगर बगैर इ पास के बाहर निकलता है तो इ चालानधारी पुलिस

उसका इ चालान काट देती है। और उसे फाइन भी ऑनलाइन भरना पड़ता है। इसके लिए

सरकार की ओर से इ पास पदाधिकारी की व्यवस्था की गयी है जिसका काम सिर्फ इ

पास बनाना है।

इससे जाहिर होता है कि लोगों के साथ-साथ सरकार की निर्भरता भी ऑनलाइन

प्लेटफार्म पर बढ़ गयी है। अगर देश का यही हाल रहा तो आने वाले समय में कई

ऑनलाइन अस्पताल खुलेंगे। तब वहां के ऑनलाइन चिकित्सक लोगों को सलाह देंगे

कि ऑनलाइन बच्चे पैदा करो। अगर आप उनसे पूछेंगे कि ऑनलाइन बच्चे कैसे

पैदा होगा तो उनका जवाब होगा- जब ऑनलाइन शादी हो सकती है, ऑनलाइन प्रेम

का इजहार किया जा सकता है, ऑनलाइन विवाह योग्य लड़के लड़कियों का चुनाव

किया जा सकता है,शादी के बाद ऑनलाइन वर-बधु को आशीर्वाद दिया जा सकता है

तो ऑनलाइन बच्चे कैसे पैदा नहीं किया जा सकता। अब तो स्कूल बंद है और

ऑनलाइन शिक्षक से लेकर छात्र तक मिल रहे हैं। इ पुस्तक से लोग अपना ज्ञान

बढ़ा रहे हैं। अब तो कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार का नजारा भी

परिजनों को ऑनलाइन दिखाया जा रहा है। अंतिम संस्कार के बाद दिवंगत आत्मा

को ऑनलाइन श्रद्धांजलि दी जा रही है और आनलाइन श्राद्ध भी किया जा रहा

है। कोरोना भी अब समझ चुका है कि उसके आने से सभी प्रकार की बीमारियां

मैदान छोड़कर भाग चुकी हैं। अब तो ऑनलाइन के मरीज बीमारी के भंडार से बाहर

आने वाले हैं। वे बाहर आकर बतलायेंगे कि कोरोना से लड़ना है तो ऑनलाइन

चलना है।


नवेन्दु उन्मेष

शारदा सदन

इन्द्रपुरी मार्ग-एक

रातू रोड,

रांची-834005


झारखंड


संपर्क-9334966328



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