Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सलाम है उन्हें

 

ना धुप ना ही बर्फ की परवाह है जिन्हे
हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

मरुभूमि में भी ऊट की सी चाल चल रहे
अरि के कटार के वहाँ वे ढाल बन रहे
माँ भारती के मान का ख्याल है जिन्हे
हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

लद्दाख की बुलंदियों पर पावँ जमाकर
हिमवायु में खड़े है अपने हाड़ कपाकर
हर वक़्त सीमाओ की परवाह है जिन्हे
हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

 

आकाश की उंचाइयो से नज़र गड़ाकर
ना उठे कोई आँख हिंदोस्ता की धरा पर
हर वक़्त अपने शिखर पर नाज़ है जिन्हे
हमारा तहे दिल से सलाम है उन्हें

 

 

नवनीत पाण्डेय

 

 

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