Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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घर एक संग्राहालय

 

भौतिक वस्तुओं का बनता
जा रहा है घर एक संग्राहालय
जिंदगी की संगीत का
जिसमें नही है कोई ताल औ लय

 


खो गयी है जिंदगी
चीजों के ढेर में
बिन सोचे-समझे चीजों
को खरीदने के फेर में

 

 

 

नीरा सिन्हा

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