बात आज प्यार,इश्क और मोहब्बत से जुड़ी चर्चा का है ।भारत या एशिया केअन्य देशों की हो लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते कि महिला किसी से प्यारया लगाव रखें । प्यार,मोहब्बत के मामले में आये दिन बर्बरता पूर्ण घटनासामने आती है । हमारी सोच यह स्वीकार करने को कतई तैयार नहीं प्यार जैसाकोई रिश्ता भी हो सकता है । अगर कहीं कायम भी हुआ तो इसके दर्दनाक औरभंयकर परिणाम देखने सुनने को मिलते हैं । एक तरफ तो हम प्रगतिशील सोच कीबात करते हैं दूसरी तरफ तुच्छ और घटिया सोच के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं ।कभी जाति बिरादरी में बदनामी को लेकर डरते हैं तो कभी समाज की दुहाई देतेहैं । प्यार को सदैव ही द्वेष भरी नजरों से देखा जाता है,और रहेगा । कुछमहीने पहले ग्रेटर नोएडा में एक छात्र और छात्रा ( जो कि १० वीं औरबारहवीं स्तर के थे ) को जिंदा जला दिया गया था । हरियाणा में भी एक गांवमें कुछ ऐसी ही घटना प्रकाश में आयी थी जहां पंचायत ने प्रेमी युगल कोबहिष्कृत किया तथा मारपीट की गयी थी । जबकि संविधान में यह बात है कि अगरप्रेमी युगल बालिग है तो उन्हें यह अधिकार है कि वह अपना साथीचुन सकते हैं। लेकिन कहीं न कहीं हमारी पुरानी व्यवस्था इस परिवर्तन को मानने को तैयारनहीं दिखती । यह केवल अनपढ़ और गांवर लोगों कि बात नहीं बल्कि पढ़े लिखेलोग भी अपने बेटे और बेटियों पर इतना विश्वास कायम नहीं रख पाते कि उनकेबच्चे में इस तरह की समझ है कि वह अपना जीवन साथी चुन सके । यह सवाल है?और प्रश्नचिन्ह पैदा करता है बच्चों की प्रतिभा और सोच पर ।
क्यों आजहम पढ़े लिखे,शिक्षित होने का दावा करते हुए भी दकियानूसी सोच से बाहरनहीं निकल पा रहे हैं । सामूहिक भागीदारी में बिखराव क्यों?
मैंआज बीबीसी हिन्दी सुन रहा था,खबर पाकिस्तान से थी कि वहां की स्वात घाटीमें( शरिया कानून लागू है तालेबान और सरकार के बीच आपसी सहमति से ) सूबासरहद में एक लड़की पर कोड़े बरसाये गये वो भी इसलिए कि उस पर प्यार करनेका आरोप है । मोबाइल से इस बर्बरता को कैद किया गया । प्यार करने की सजावीडियो में कैद की गयी । लड़की तड़प रही है वह मजबूरन यह कहती है कि अब वहप्यार नहीं करेगी । पाकिस्तानी सरकार ने घटना की निंदा की और जांच के आदेशदिये हैं । स्थानीय लोगों का आरोप की लड़की के किसी व्यक्ति से अवैध सबंधथे । खबर में कितनी सच्चाई यह तो बाद में पता चलेगा । पर सवाल किसी देश याजाति का हो पर आज भी लोगों में इस तरह के रिश्ते के प्रति सोच बहुत हीघटिया और तु्च्छ है । किसी को भी यह अधिकार नहीं कि वह इस तरह की बर्बरतापूर्ण कार्यवाही करे । अगर बात गलत या शंका के दायरे में है तो कानून कासहारा ले न कि प्रताड़ित करे,जलाये,मारे पीटे या बहिष्कृत करे ।
यह तो सरहद पार की घटना है जबकि भारत में भी इस तरह की वारदातें आये दिन सामने आती रहती हैं ।
neeshoo tiwari ( new delhi)
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