मैंने कुछ सुना है,
तुमने साथी नया चुना है,
ना छुपाया तुमसे कोई राज ,
फिर क्यों हुई ये बात,
कि कोई हमराज नया मिला है,
मैंने कुछ सुना है,
तुमने साथी नया चुना है..
हर वादे कि रखी लाज,
फिर क्यों हो गयी नाराज़,
कि किसने वादों का जाल बुना है
मैंने कुछ सुना है
तुमने साथी नया चुना है..
क्या मिला नहीं तुम्हें सम्मान,
फिर क्यों ऐसा अवमान,
कि किसने बड़ा अहसान किया है,
मैंने कुछ सुना है,
तुमने साथी नया चुना है...
रहता मै सदा तुम्हारे साथ,
फिर कब छूटा ये हाथ,
कि हमसफ़र नया मिला है,
मैंने कुछ सुना है,
तुमने साथी नया चुना है...
तुम्हें खो देने का अहसास,
कर देता तुम्हारे और पास,
फिर क्यों सच हो यह बात,
शायद झूठ कुछ सुना है,
कि तुमने साथी नया चुना है,
मैंने कुछ सुना है,
तुमने साथी फिर मुझे चुना है.
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'रविवंदन'
NEETU GOEL,
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