Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माँ की साड़ी कभी पुरानी नहीं होती

 

अरे सुनो ! आज शाम को बाजार चलना हैं, सपना ने पति सुजीत से कहा। 


क्यों ?, कुछ खास!!! , सुजीत बोला। 


हाँ बाबा !!!, भूल गए क्या ? अगले हफ्ते चिंकू (सपना एवं सुजीत का बेटा) का जन्मदिन हैं। सो उसके लिए नए कपड़े, खिलौने, रिटर्न् गिफ्ट्स, टॉफ़ी लानी है । 'अच्छा ठीक हैं, सुजीत बोला।


शाम को सुजीत समय से घर आ गया। चाय पीने के बाद वे लोग बाज़ार जाने लगे, चिंकू अपनी दादी(शीतल जी को) बड़े प्यार से बाय बोला। शीतल जी ने भी बड़े प्यार से बेटे बहु से कहा, चिंकू की पसंद का दिलाना सब और हॉ!! आते वक्त आइस क्रीम भी खिला कर लाना।


2 3 घण्टे बाद सब लौटे तो सबके हाथ थैलो से लदे हुए थे। चिंकू ने बड़े उत्साह के साथ अपनी दादी को सब समान दिखाया। सुजीत माँ से बोला, देखो माँ सपना को, पिछले हफ्ते चप्पल ली थी , अभी फिर से ले आयी । और ये आपकी लाडली बेटी(शीतल जी की छोटी बेटी) फिर एक ड्रेस ले आयी। कोई और कुछ बोलता , इस से पहले शीतल जी बोली, सपना को तो पहले ही दो जोड़ी लेनी थी ,लेकिन तब पसंद नही आई, तो आज ले ली। अब वो बाहर आती जाती है , तो उसे चार जोड़ी चप्पल चाहिए ही। और कुसुम(शीतल जी की बेटी) कॉलेज जाती है , उसे भी ड्रेस चाहिए ही होती है। सपना भी सुजीत पर पलटवार करते बोली-आपने भी तो शर्ट ली है, वो नही बताया। अरे!, वो तो अच्छे डिस्काउंट में मिल रही थी , इसलिए।।। आज का शॉपिंग अध्याय यही खत्म हुआ।।सबके लिए सब आया , लेकिन शीतल जी के लिए कुछ नही ।इसलिए नही की कोई उनकी परवाह नही करता बल्कि इसलिए कि उनके पास कभी किसी चीज़ की कमी होती ही नही।


शीतल जी के बहन के बेटे का विवाह तय हो गया। दो महिने बाद विवाह था । सपना, सुजीत, कुसुम सब क्या पहनेगे क्या लेंगे की लिस्ट बनाने लगे। अब शादी की हिसाब की चप्पल जूते नही हैं। सपना भी बोली-मेरी सब साड़िया मैंने कई बार पहन रखी है , तो मैं दो साड़ी लूंगी। कुसुम के तो ख़्वाब ही निराले थे ।लेकिन शितलजी की  लिस्ट में अभी भी कुछ नही था ।


सुजीत बोला, माँ, इन की लिस्ट तो कभी खत्म ही होती। अबकी बार आपको दो नई साड़ी लेनी ही पड़ेगी। अरे,सुजित ,मेरे पास बहुत साड़िया है। और एक तो ठंड की शादी , ऊपर से तो स्वेटर ही पहनना है। और फिर काम में कहा भारी साड़ी संभालती है । तुम लोगो के लिए ले आओ ,जो भी तुम्हे चाहिए।


सोते वक्त सुजीत शून्य में विचार कर रहा था । सपना कमरे में आई तो पूछा-क्या हुआ?? कहा खोये हो।


सपना , तुम्हे याद है, आखरी बार मम्मी ने साड़ी कब खरीदी थी ।  अअअअअअअ, हाँ, जब पिछले साल राखी पर सेल लगी थी, तब मम्मी जी ने दो साड़ी ली थी सिंपल वाली। एकसाल!!! सुजाता, पूरा एक साल।।। और इस एक साल में हमने ना जाने कितने कपड़े, जूते खरीदे फिर भी हमारे पास कमी है। सोच रहा हूँ, माँ के पास ऐसा कौनसा जादू है कि उनकी साड़ी कभी पुरानी नही होती। हालांकि वो सभी रिश्तेदारों के सब आयोजनों में शामिल होती है। सभी कार्यक्रमो में अपनी उपस्थिति दर्ज करती है,फिर भी उन्हें ना साड़ी चाहिए ना चप्पल जुते। मैंने बचपन से ही माँ को कभी अपने लिए अलग से शॉपिंग करते नही देखा। कभी नानी साड़ी दे देती है, कभी कही से आ जाती है ।। बस हमेशा हमारे लिए खरीददारी करती है।


सुजाता और सपना ने अगले दिन माँ को बाजार ले जाने का प्लान बनाया। बच्चो के जिद्द करने से शितलजी ने दो साड़ी ले ही ली। लेकिन फिर भी उनकी अलमारी पहले से ही भरी थी ।



नेहा सूरज  बिन्नानी"शिल्पी"

कांदिवली पुर्व, मुम्बई

9619050255

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