नहीं जरुरी करनी गिनती-
अपने उन - बेगानांे की।
संसद का जो मान न रखते -
ऐसे-उन-शैतानों की ।
जो सत्ता का वैभव पाते -
मत से सिर्फ हमारे है,
वही हिलाते नींव हमारे-
गिरते हुये - मकानों की।।
सिर्फ चैकसी इनकी पुख्ता-
लुटते-पिटते तो हम हैं,
हाथेां में इनके कुदाल हैं-
हम तो शक्ल खदानों की
नाम की सासें-वे-जो
जीवन रखें बचाये हैं-
उन पर भी इनकी लगाम है-
अपनी तरह चलाने कीं ।।
राजनीति व्यापार हो गयी
नेपाल सिंह चन्देल
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