यारों मेरी हयात ने ये क्या दिया मुझे,
काग़ज़ के ही गुलाब से महका दिया मुझे,
जो राज़ कह न पाए वो दिल की ज़ुबान से,
वो राज़ एक निगाह ने बतला दिया मुझे,
ज़ख़्मों के दौर आए थे हंस कर गुज़र गये,
दीवानगी ने सोज़े तमन्ना दिया मुझे,
हर बार मेने तुझको ही माना मेरा हबीब,
हर मर्तबा उम्मीद ने धोखा दिया मुझे,
ये ज़िंदगी भी मेरी अमानत उसी की है,
जिसने वफ़ा की राह में भटका दिया मुझे,
हर मोड़ पे निदा का नया इम्तिहान है,
मेरे दिले मुशीर ने समझा दिया मुझे,
------------------------------निदा.......
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