Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आप भी मुझ को सिखाने लग गए

 

 

आप भी मुझ को सिखाने लग गए,
ग़ैर की मानिंद सताने लग गए।
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आप की इक बात मैंने काट दी,
आप तो मुझ को मिटाने लग गए।
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बस अँधेरे की सियासत जान कर,
रात जुगनू जगमगाने लग गए।
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©निलेश "नूर"

 

 

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