दर्द इतना मिला मुझे के दवा बन गया,
अपनी नज़र में काफिर भी खुदा बन गया.
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मुहब्बत असर अपना दिखाती है ज़रूर,
चांदनी देख सूरज ठंडी हवा बन गया.
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शहर में हर सू खुशबु-ए-वफ़ा तारी है,
सुना है इक दीवाना याँ धुआं बन गया.
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उससे बिछड़ कर थमी है रगों में हलचल,
तूफाँ के बाद सन्नाटा सदा बन गया.
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टूटा, बिखरा ना ही पत्थर का ये हुआ,
लाफ्ज़े विदा सुन दिल अँधा कुआँ बन गया।
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उस दौर के आशिक भी बड़े अज़ब थे "नूर"
हुआ कोई 'ग़ालिब' कोई 'निदा' बन गया.
Nilesh Shevgaonkar
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