एकलव्यों से सदा धोखा किया है,
पद गुरू का द्रोण ने नीचा किया है।
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पांडवों में था बड़ा बस कर्ण लेकिन,
दूध का पर कुंति ने सौदा किया है।
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राम की गंगा सभी के पाप धोए,
बोल कर मैया उसे मैला किया है।
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है वही बस श्रेष्ठ सारी गोपियों में,
कृष्ण ने छू कर जिसे राधा किया है।
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पी गए थे शिव जिसे वो था हलाहल,
इस गरल ने कंठ पर नीला किया है।
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थी धरा यह देवताओं की सदा से,
कंस भी इस ने मग़र पैदा किया है।
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© निलेश "नूर"
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