पहले पहल मुझ से बड़ा काम रखा जाए,
फिर सर मेरे भी कुछ ईनाम रखा जाए।
...
ख़ुदा की ख़ुदाई पे मिरा बना रहे भरम,
गुनाह के हिसाब से अंज़ाम रखा जाए।
...
अपने दीवानों की फेहरिस्त अगर लिखो,
'बिस्मिल्लाह' से पहले मेरा नाम रखा जाए।
...
अब के लौटेगा कासिद हाथ भरे लेकर,
चलो! लिख के इक नया पैग़ाम रखा जाए।
...
दूर है मंज़िल पर दिखाई तो देती है,
जश्न का अभी से कुछ इंतज़ाम रखा जाए।
...
तुम निबटा तो दो मुझे पर इक शर्त है मिरी,
मिरे ही क़त्ल का मुझ पे इल्ज़ाम रखा जाए।
निलेश शेवगांवकर "नूर"
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY