साँस का थमना, थम जाना नहीं होता,
मौत का आना मर जाना नहीं होता।
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अब भी रहता होगा वो उसी गली में,
अब मेरा वां आना जाना नहीं होता।
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पुरानी अदाएँ पुरानी हो गयी है,
रूठू तो उनसे मनाना नहीं होता।
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ले के मेरा खूं ओ अश्क़ ये नसीहत,
वफ़ा का हासिल फ़क़त पाना नहीं होता।
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किये बैठा है मुझसे क्या कुछ वादे,
वादे है सब बस निभाना नहीं होता।
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जाने कितने लमहे जी लेते हमतुम,
दरमियाँ हमारे ग़र ज़माना नहीं होता। ….
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