Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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साँस का थमना, थम जाना नहीं होता

 

साँस का थमना, थम जाना नहीं होता,
मौत का आना मर जाना नहीं होता।

अब भी रहता होगा वो उसी गली में,
अब मेरा वां आना जाना नहीं होता।

पुरानी अदाएँ पुरानी हो गयी है,
रूठू तो उनसे मनाना नहीं होता।

ले के मेरा खूं ओ अश्क़ ये नसीहत,
वफ़ा का हासिल फ़क़त पाना नहीं होता।

किये बैठा है मुझसे क्या कुछ वादे,
वादे है सब बस निभाना नहीं होता।

जाने कितने लमहे जी लेते हमतुम,
दरमियाँ हमारे ग़र ज़माना नहीं होता। ….
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