Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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साथ निभाना और छोड़ के जाना

 

साथ निभाना और छोड़ के जाना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत…
याद ना करना फिर याद भी आना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत.

 

सवालों_जवाब का आना जाना,
नीम के तने पे लिखना मिटाना…
निगाहें मिलाना फिर नज़र चुराना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत.

 

किताबों में चुपके से कलियाँ छुपाकर
तिरी गली में चक्कर लगाना…
लड़कपन की बातें दिल से भुलाना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत.

 

खनकते कंगन, सुलझते गेसूं,
फिर किसी झरौखें का परदा गिराना…
जलती शमा पे परवानें का आना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत.

 

सवाले_वस्ल पर तेरा मुस्कुराकर,
हौले से गाल पे चपत लगाना…
गुस्सा था झूठा, था सचमुच मनाना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत.

 

मुझे याद अब भी है सब वो बातें,
कहने न दे पर उमर का तकाज़ा…
बालों की चाँदी खिज़ाब से छुपाना,
आसाँ भी बहुत मुश्किल भी बहुत.

 

 

Nilesh Shevgaonkar

 

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