by Nilesh Shevgaonkar (Notes)
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तेरी गली से बेसबब ही हम, गुज़रने जब लगे,
चलते रहे -चलने रहे, बरबस ठिठकने जब लगे।
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हम को मिलेंगी मंज़िलें राहे इश्क़ पर चलकर तभी,
अपनी तरह माशूक का दिल भी धडकने जब लगे।
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जितनी तलब, उतना मज़ा इस आज़माइश में मिला,
हो कर दिवाने हम मुहब्बत में भटकने जब लगे।
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कैसे बचाऊंगा, छुपाऊँगा दिले ख़स्ता कहाँ,
अजगर किसी की याद का मुझ को निगलने जब लगे।
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अपने कफ़न में याद के पैबंद इतने थे सिले,
रोएँ क़यामात पे फरिश्तें, सब उधड़ने जब लगे।
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