दर्द आँखों से बहाने निकले
गम उसे अपने सुनाने निकले।
रंज़ में हम से हुआ है ये भी
आशियां अपना जलाने निकले।
गर्दिशें भूल गये थे फिर भी
रोज रोने के बहाने निकले।
मुँह पर ओढ नकाब नये वो
जो जलाया था, बुझाने निकले।
यूँ न खूबी न दिलेरी हम मे
फिर भी क्यों शर्त लगाने निकले।
प्यार क्या है नहीं जाना लेकिन
सारी दुनिया को बताने निकले।
तुमने रिश्ता न निभाया कोई
याद फिर किस को दिलाने निकले।
झूम कर यूँ कभी उमडे बादल
ज्यूँ धरा कोई सजाने निकले।
कौन है दुख न जिसे कोई हो
आप फिर किसको सुनाने निकले।
पाप की गँध लिये दिल मे हम
क्यूँ त्रिवेणी पे नहाने निकले।
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