न तो रिश्ते न दोस्त ही कोई मेरा मिला मुझ को
अगर्चे कुछ मिला तो दर्द बस तेरा मिला मुझ को
रहे तालिब सदा तेरे दीदारे नूर के जानम
न तू आया न कोई भी पता तेरा मिला मुझ को
वफा को ही मिले धोखा,बता ऐसी रवायत क्यों
मै हैराँ हूँ उजाले मे भी अंधेरा मिला मुझ को
सदा जीते रहे मर मर के भी यारो ख्यालों मे
मिलाये तोहफा जो गम तेरा मिला मुझ को
हजारों रोनकें होती रहें होते रहें उत्सव
उजडता सा सदा मेरा यहाँ डेरा मिला मुझ को
करे कोई गिला तो क्या बताओ तो सही निर्मल
मुहब्बत मे बना बन कर खुदा मेरा मिला मुझ को।
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