Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तस्वीर ख़ूबसूरत हो न हो

 

तस्वीर ख़ूबसूरत हो न हो
ज़िंदगी ख़ूबसूरत हो न हो
पर साथ ख़ूबसूरत हो

 

मंज़िल ख़ूबसूरत हो न हो
रास्ते ख़ूबसूरत हो न हो
मगर बातेँ ख़ूबसूरत हो

 

किनारे ख़ूबसूरत हो न हो
लहरेँ ख़ूबसूरत हो न हो
पर हाथ थामना ख़ूबसूरत हो

 

नज़र ख़ूबसूरत हो न हो
नज़ारे ख़ूबसूरत हो न हो
पर नज़रिया ख़ूबसूरत हो

 

दूर ही सही पर एहसास ख़ूबसूरत हो
ज़िँदगी के हर पल की याद ख़ूबसूरत हो

 

 

 

 

 

॰॰॰॰ निशा चौधरी ।

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