तस्वीर ख़ूबसूरत हो न हो
ज़िंदगी ख़ूबसूरत हो न हो
पर साथ ख़ूबसूरत हो
मंज़िल ख़ूबसूरत हो न हो
रास्ते ख़ूबसूरत हो न हो
मगर बातेँ ख़ूबसूरत हो
किनारे ख़ूबसूरत हो न हो
लहरेँ ख़ूबसूरत हो न हो
पर हाथ थामना ख़ूबसूरत हो
नज़र ख़ूबसूरत हो न हो
नज़ारे ख़ूबसूरत हो न हो
पर नज़रिया ख़ूबसूरत हो
दूर ही सही पर एहसास ख़ूबसूरत हो
ज़िँदगी के हर पल की याद ख़ूबसूरत हो
॰॰॰॰ निशा चौधरी ।
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