*पाने को इज़्जत मुहब्बत क्यों मैं तरसाई गई ।
लड़कियों के भाग में क्यों ये कमी पाई गई ।
*ग़र बखूबी मैं बनी माता बहिन बीवी सुता ।
कोख में मैं हर दफा क्यों ऐसे दफ़नाई गई ।
*और अब घर से निकलना इस कदर दूभर हुआ ।
जब जहाँ थी मैं अकेली नोच कर खाई गई ।
*फेर जिनकी नीयतों में साफ दामन वो यहाँ ।
फिर मेरे ही हिस्से क्यों ये तोहमत लाई गई ।
*छोड़ कर मैं मायका आई सजन के जब कभी ।
फिर दहेजों की अगन क्यों मुझपे ही ढाई गई ।
*हार कर जब सोच पहुँची खुदखुशी तक तो नितिन।
किन बहानों से तबीयत राह पर लाई गई ।
नितिन सिकरवार..
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