Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बालिका भ्रूण हत्या रोकें

 

मै हॅू कल्पबृक्ष का अंकुर, मुझे नष्ट मत करना,
बर्तमान एवं भविष्य मै इस अभिशाप से डरना ।।1।।
कभी रही मै इन्द्रबाग मै,कभी द्वारिका उपवन मै,
आज मुझे उस ईश्वर ने भेजा है सबके जीबन मै।।2।।
आनेबाले कल तक मां गर्भाशय मै मुझको रहने दो,
केबल मुझे जन्म लेने दो,पैरों के बल से चलने दो।।3।।
नही काटना माॅजी मुझसे किनारा,
बनूगी आपके जीबन का सहारा ।।4।।
आपके धर फूटेगी किरण एक आशा की,
अभी तक अंधेरा था जो अभी तक निराशा थी।।5।।
मेरी हर डालियाॅ फूलेंगी-फलेंगी, कई निःसंतांनों की झोली भरंेगी,
युग-युग मै जननी बनकर ,कई रत्नों को जन्म दंूगी।।6।।
केबल मुझे नष्ट करने का जधन्य पाप ना करना,
बर्तमान एवं भविष्य मै इस अभि शाप से डरना।।7।
मै हॅू कल्पबृक्ष का अंकुर, मुझे नष्ट मत करना,
बर्तमान एवं भविष्य मै इस अभिशाप से डरना ।।

 

 

 

रचनाकार
ओमप्रकाश मिश्रा

 

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