Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चलो एक दूसरे में खो जाएँ

 

चलो एक दूसरे में खो जाएँ
हम हमेशा को एक हो जाएँ

भटकती उम्र थक गयी होगी
नज़र पे धुंध पट गयी होगी
मन की दीवार से सुकून जड़ी
कोई तस्वीर हट गयी होगी
आओ अब परम शान्ति अपनाएँ
हम हमेशा को एक हो जाएँ

पहाड़ से उरोज धरती के
उगे हैं ज्यूँ पलाश परती के
बसे हैं सूर्य की निगाहों में
कसे है आसमान बाहों में
आओ हम मस्त पवन हो जाएँ
सारी दुनिया में प्रेम छितारायें

कई बादल झुके हैं घाटी में
शिशु सा लोट रहे माटी में
लगा है काजल सा अंधियारा
शाम की शर्मीली आँखों में
एक स्वर एक तान हो जाएँ
साथ मिल झूम झूम कर गायें
हम हमेशा को एक हो जाएँ

 

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