उनसे बिछड़े तो आज ये जाना
कितना मुश्किल है दिल को समझाना
दिल की किस्मत है टूट कर मिलना
और फिर टूट कर बिखर जाना
सर तो कहता था प्यार मत करना
दिल ही पागल था जो नहीं माना
मंजिलें खुद झुकी हैं सजदे में
जब से अपनी खुदी को पहचाना
फिर कोई काम निकल आया है
उसने फिर आज मुझे पहचाना
मै जो कहता हूँ तुझे पी लूंगा
और हँसता है मुझपे पैमाना
आज भूखा है पडोसी मेरा
आज मंदिर मुझे नहीं जाना
प्यार के बोल मुफलिसी के लिए
जैसे तिनके का सहारा पाना
रास्ते तो हजार मिलते हैं
बड़ा मुश्किल है हमसफर पाना
मालो जर हो तो मुत्तहिद रहना
प्यार हो गर, तो फिर बिखर जाना
मुफलिसी=गरीबी
माल-ओ-जर = धन दौलत
मुत्तहिद= इकठ्ठा, संगठित
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