"वह फूल चढ़ाते हैं तुर्बत भी दबी जाती,
माशूक के थोड़े भी अहसान बहुत हैं।"
(तुर्बत=कब्र)
नींद आती है कब उल्फ़त के तलबगारों को,
फिक्र रहती है कि मक़्तल में किसे याद किया!
वो फूल भी रखते है तो....तुर्बत दबी जाती
माशूक़ के थोड़े भी अहसान....बहुत है...
तुर्बत=कब्र,grave
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