Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पंडित राम प्रसाद बिस्मिल

 

 

  • "वह फूल चढ़ाते हैं तुर्बत भी दबी जाती,
    माशूक के थोड़े भी अहसान बहुत हैं।"

(तुर्बत=कब्र)

 

  • नींद आती है कब उल्फ़त के तलबगारों को,
    फिक्र रहती है कि मक़्तल में किसे याद किया!

 

  • वो फूल भी रखते है तो....तुर्बत दबी जाती
    माशूक़ के थोड़े भी अहसान....बहुत है...

तुर्बत=कब्र,grave

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