Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आजकल तन्हाई पलती है मुझ में

 
सूखे-जले से पेड़ ने कहा : आजकल तन्हाई पलती है मुझ में !
जब इस  वृक्ष को देखा तो मन अशांत हो गया l  भीतर का कोलाहल अपने चरम पर था l एक ज़माने में इस वटवृक्ष का वैभव न जाने कितने लोगों को अपनी छाँव से सुकून देता होगा l  जैसे किसी परिवार के दादा जी l
वृक्ष के साथ इंसानी रिश्ता परिवार के सदस्य से कम नहीं होता l  मुझे याद है- गाँव के घर के आंगन में विशाल नीम का पेड़ था l  गर्मी के दिनों में नीम के नीचे खटिया बिछाकर सोना, भाई-बहनो और दोस्तों के संग खेलना, ऐसा लगता जैसे नीम के पेड़ की छाया में हमारा ड्रॉइंग रूम था और खेलने का मैदान l
ज़िन्दगी के साथ बहुत कुछ बदल चुका है और हम भी...  मगर आत्मा आज भी उस नीम के पेड़ और अपने रिश्ते को संजोकर बार बार आवाज़ देती है l
 - पंकज त्रिवेदी
(तसवीर : पंकज त्रिवेदी )

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