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आसपास बहुत लोग है

 

Pankaj Trivedi


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आसपास बहुत लोग है
जिन्हों ने बेशुमार चाहा है 
मैं उसे किसी व्याख्या में  
बाँध लूं ये तो ठीक नहीं 
मैं निर्बंध हूँ, हमेशा रहता हूँ 
चाहूँगा कि आप निर्बंध रहें   
कुछ शब्दों के बनाए सांचे में 
बांधकर व्याख्या क्या करूँ?
प्यार बहुत व्यापक अनुभूति है 
एहसास है, सेतू है, संगाथ भी  
प्यार में मुक्त रहो, मुक्त रखो 
खूब फूलेगा, फलेगा, फैलाएगा 
प्यार कोई बहाना तो नहीं है 
रिश्तों की महक को फ़ैलने दो
जब तुम होंगे तो बहुत चाहेंगे 
न हों तब जो चाहें वोही प्यार ! 
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