Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आदतें डाल ली है हमने सुनने की

 
आदतें डाल ली है हमने सुनने की
तुम चाहें प्यार दो या गालियाँ मुझे
वक्त के बदलते पहिए के संग-संग 
ज़रूरतें और नियत सिखाती मुझे 
इज्ज़तें शोहरतें मिल जाती हैं हमें
रिश्ते की ख़ाल पहचान आती मुझे 
ऐसा तो नहीं कि न जाना था कुछ 
जानकर भी अंजान रहना था मुझे 
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पंकज त्रिवेदी

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