Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चन्द रातों से नींद बहुत आती है

 


चन्द रातों से नींद बहुत आती है
लगता है यही तू कहीं आसपास है  
चैन कम मिल पाता आपाधापी में 
सुकून-ए-मोहब्बत का दीदार तू है       
ए परवर दिगार शुक्रिया तेरा कहूं मैं 
तू नहीं तो ये ज़िंदगी क्या ख़ाक है?
किसीके आँसूं देखकर पिघलना नहीं 
आँसूं बहने से पहले समझ दरकार है 
किसी के वास्ते जलने वाले खूब मिलें 
किसी के स्वीकार में खुशी मिलती है   
ठहर जाओ सोचो ज़रा वक्त गुज़रा नहीं 
आज इस पल में तेरा सूर्य तपने लगा है 
                        - पंकज त्रिवेदी


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ