Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

हे उदासी

 
हे उदासी ! 
अच्छा हुआ तुमने मुझे घेर लिया है 
कभी कभी तुम्हारा आना भी हमें 
बहुत कुछ याद दिलाता है  
हर कोई तुमसे कतराएगा तो कहाँ जाओगी?
मेरे दर पर तो हर किसीका स्वागत है 
आई हो तो बैठो न ! 
ये पंचतत्त्व में विलीन हुए कवि को कैसे देखोगी?
कहो तो ज़रा तुम्हारी जुबानी से मैं भी सुनूँ
बहुत नमीं है न आँखों में !
उदासी बोली : 
लोगों की आदत है हर किसीको युगपुरुष कहना 
मगर जानती हो? यही तो इकलौता युगपुरुष है
जो मौन में मुस्कुराता है !
क्लिंटन ने कहा था पाकिस्तान परमाणु हमला करेगा 
अटल बोले थे कि मान लिया आधा भारत नहीं है 
सुबह दुनिया के नकशे में पाकिस्तान नहीं होगा
याद करो, इतना कहकर अटल जी ने 
क्लिंटन का फोन काट दिया था और 
दोनों मुल्क स्मशानवत शांति में !
मैं उदासी हूँ मगर आप सभी के बिना 
मेरा अस्तित्व नहीं है और मेरे बिना न आप    
'अटल' कविता में मैं भी तो कहीं थी !  
*
पंकज त्रिवेदी
17 अगस्त 2018
(पूर्व प्रधानमंत्री एवं कवि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की अंत्येष्टि के बाद)

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ