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जोड़ देती हैं स्मृतियाँ !

 

Pankaj Trivedi


मेरे 
होने न होने के 
बीच का समय 
खिड़कियों से 
झाँकती रहो तुम 
काले बादल उमड़ते
अंदर-बाहर, तेरे-मेरे 
बारिश बंद होने से 
पेड़ों के पत्ते मुस्कुराते 
पवन की हल्की सी 
झप्पियाँ भी स्नेह बरसाती 
मेरे 
होने का अहसास हर पल 
न होने के बीच दरवाज़े की 
खुलने-बंद होने की आवाज़ 
जोड़ देती हैं स्मृतियाँ !
*
पंकज त्रिवेदी
5 July 2018

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