बातें बहुत बड़ी बड़ी करते हैं लोग
ख़ाली कुँए से पानी भरते हैं लोग
मन में उठे भावों को शब्दों के सांचे में ढालकर शब्द सौंदर्य तथा लय ताल का माधुर्य दर्शाना एक अच्छी शुरूवात है, मगर इसके लिये ज़रूरत है भाषा की, भाव की, छंदबहहर की, ज्ञान की, जिससे ग़ज़ल-गीत को लय मिले. तब ही जाकर उसमें गेयता भी शामिल होती है, और शब्द सौंदर्य भी.
मुंबई के अनेक प्रख़्यात सभागरों में जिनका परिचय पाया वे हैं क़लम के धनी श्री कपिल कुमार, जिनका यह शेर अपने आप में आदमीयत की परिभाषा है. उनका व्यक्तित्व एव् कृतित्व बहुअयामी है, और उनके लेखन कला के विस्तार में शामिल हैं कुंडलियाँ, दोहे, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक भी, जो इन्द्रधनुषी रंगों से ओत प्रोत सोक के झरोखों से जीवन की पारदर्शी परिस्थितियाँ दर्शा देते हैं।
उनके दोहों में वैचारिक नूतनता प्रधान है, जिसके कथ्य को व्यापक अर्थ एवं विराट रूप देने में कपिल कुमार जी असाधारण रूप से समर्थ हैं. उनके दोहों में कथ्य एवं शिल्प का मणी-कांचन संयोग देखने को मिलता है, उन्हीं के शब्दों में....
टूटा दिल का आइना, बिलकुल बेआवाज़
सूखा सांसों का चमन, हुआ बेसुरा साज़
कपिल जी एक जाने माने कवि, लेखक, गीतकार, व्यंगकार, अभिनेता व पत्रकार रहे हैं, जिनका परिचय देना सूरज को उंगली दिखाने के बराबर होगा. गागर में सागर भरने का फ़न भी इल्म की माहिरता है, जो श्री कपिल कुमार बख़ूबी, निरंतर साधना की तरह निभाते चले आ रहे हैं.
वो लिखता है अंदाज़ में कुछ यूँ देवी
कि लिखना भी उसका इबादत हो जैसे
ख़ूब निभाया क़लम से, करना था जो काज
बात कपिल कवि राय की, पहुंची दिल तक आज
उनके इस बहुगुणी संग्रह के लिये जो अब लोगों के दिल की धड़कन बन रहा है, मेरी बधाई व शुभकामनाएं है
देवी नागरानी
९-डी कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/३३ रोड, बांद्रा, मुंबई ५०. फ़ोन ९९८७९२८३५८ dnangrani@gmail.com
काव्य-संग्रह : कहे कपिल कवि राय, लेखक: कपिल कुमार, पन्नेः ९०, मूल्य: रु.२००. प्रकाशक: वाणी प्रकाशन,दिल्ली११००९५
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