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काव्यकृति - एक थका हुआ सच

 

 

thakahua                                blgaur

 

 

 

 

अनुवाद:देवी नागरानी / समीक्षक: बी एल गौड़

 

 


उपरोक्त पुस्तक मुझे काफ़ी दिन पहले प्राप्त हो गई थी लेकिन समयाभाव के कारण इसके विष्य में कुछ कहा नहीं जा सका । वैसे भी जब तक आप रचनाकार के विषय में कुछ
नहीं जानेंगे तो उसके और उसकी कृति पर लिखेंगे क्या ? कम से कम मुझसे तो यह नहीं होता कि पुस्तक की भूमिका पढ़ कर ही और एक आद रचना पर नज़र डालकर
पुस्तक के प्रति अपनी राय प्रकट कर दी जाये । तो समय इस लिये भी लगा कि लेखिका की रचनाओं के बीच से गुज़रना पड़ा । मेरे विचार इस पुस्तक के विषय में कुछ इस प्रकार हैं -
"एक थका हुआ सच " लेखिका आतिया दाऊद की सिंधी भाषा की कविताओं की पुस्तक है जिसका हिंदी जगत से परिचय कराया है विदुषी देवी नागरानी ने ।
देवी नागरानी के विषय में और विशेष कर उनकी सिंधी से हिंदी में अनुवाद कला के विषय में मैं इतना ही कह सकता हू कि सिंधी भाषा में लिखीं आतिया दाऊद की
कविताओं का हिंदी में अनुवाद देवी नागरानी के स्थान पर यदि किसी और ने किया होता तो यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि तब आतिया दाऊद का सच
केवल थकता ही नहीं बल्कि काल कवलित हो जाता । ऐसा में इस लिये कह रहा हूँ कि देवी नागरानी की मैंने और भी किताबें देखी हैं ।अनुवाद एक कला है और एक
भाषा से दूसरी में अनुवाद गद्द में तो काई भी विद्वान जिसे दो भाषाओं का ज्ञान है कर सकता है लेकिन कविता के क्षेत्र में ऐसा नहीं है । एक भाषा की कविताओं का अनुवाद
दूसरी भाषा में करने के लिये उसका दोनों भाषाओं का कवि होना लाज़िमी है । कविताओं को पढ़ते हुए लगता है मानों नागरानी स्वयं लिख रही हैं । आतिया दाऊद की
कविताओं को हुबहू हिंदी में उतार देने का श्रेय देवी नागरानी को जाता है ।
अब बात करते हैं लेखिका आतिया दाऊद की । वैसे तो लेखिका के विषय में पुस्तक की प्रसतावना के लेखक श्री शेख़ अयाज़ और अनुवादक खान यू मूलाणी ने
जो लिखा है उसे पढ़ने के बाद मुझे नहीं लगता कि किसी समीक्षक या किसी लेखक के पास आतिया दाऊद के विषय में कुछ भी लिखने लिखाने को कुछ बचता
है ।क्योंकि जितना ये दौनों विद्वान लेखक आतिया दाऊद को जानते हैं उनसे अधिक सिंधी अथवा हिंदी का कोई भी लेखक नहीं जानता , वह तो अब जानेगा जब
उनकी कवितायें हिंदी कवि और कवयित्रियों को बतायेंगी कि सदियों से पल रही स्त्री के अंतस की पीर की गहराई कितनी होती है - शायद समन्दर की गहराई से
कुछ अधिक । सिंध में स्त्री जाति की शायरी की बेहतरीन लेखिका आतिया दाऊद की कुछ कविताओं से गुज़रते हुए आप जान पायेंगे उनकी क़लम ,उनकी कविता
और ख़ुद उनके विषय में भी ।
प्यार ज़रूर करना - वे अपनी बेटी को सीख देती हैं ,कहती हैं कि अगर कोई कलंकित करके तुम्हारा क़त्ल भी करदे तो भी कोई बात नहीं पर तुम प्यार ज़रूर करना ।(
अपनी बेटी के नाम के नाम कविता से )
लम्हे की परवाज़ - जलते सूरज तले /तपते रेत पर चलने की आदी /मैं सदियों से सहारा से परिचित हूँ / और जानती हूँ /यहाँ छांव का वजूद नहीं होता ।
सहरा से परचित मतलब स्त्री के उस दर्द से परचित हूँ ।
थके हुए सच में - सच मेरी तकलीफ़ की बुनियाद है /----जितनी बार भी सच के सलीब पर/ मेरे वजूद को चढ़ाया गया है / मैंने एक नये जनम का लुत्फ़ उठाया है ।
आतिया दाऊद ने अपनी इन तमाम ६० कविताओं मे उस दर्द को उकेरा है । उन्होंने यह दर्द सिंध की महिलाआओं में देखा है लेकिन यह दर्द तो आज भी विश्व के अनेक
देशों में स्त्रियाँ आज भी झेल रही हैं ।
एक थके हुए सच को ,आतिया दाऊद की कविताओं के दर्द को, हुबहू जीकर ,उनमें समाहित तमाम भावों को ज्यों का त्यों हिंदी भाषा में उतारने का महती काम किया है
सुश्री देवी नागरानी ने । अधिक तो पुस्तक से गुज़रे बिना पता नहीं चलेगा । दिल्ली के प्रकाशक शिलालेख,४/३२ विश्वास नगर ,शाहदरा ने इसे प्रकाशित किया है ।

 

 

 

बी एल गौड़
बी १५९ योजना विहार ,दिल्ली
blgaur36@gmail.com

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