खिड़की से घू घू करते परिंदे
घरवालों से कहें खुश रहिये
जरुरत ज़िंदगी को कितनी?
पेट भर दाने में वो चहकते !
अच्छा हुआ पर दिए खुदा ने
वर्ना किसके हाथों कैसे मरते?
हमें शांति दूत कहते हर कोई
क्यूँ धर्म के नाम वोही लड़ते?
- पंकज त्रिवेदी
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