Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

खिड़की से घू घू करते परिंदे

 
खिड़की से घू घू करते परिंदे
घरवालों से कहें खुश रहिये 
जरुरत ज़िंदगी को कितनी?
पेट भर दाने में वो चहकते !
अच्छा हुआ पर दिए खुदा ने
वर्ना किसके हाथों कैसे मरते? 
हमें शांति दूत कहते हर कोई 
क्यूँ  धर्म के नाम वोही लड़ते?
- पंकज त्रिवेदी

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ