जीवन का हर दिन चुनौतीपूर्ण होता है और हमारा हर फैसला हमारे आने वाले भविष्य की नींव होता है अब यह हमारे हर सही या गलत निर्णय पर टीका होता है की हमारा भविष्य उज्जवल होगा या हमारे लिए सिर्फ अँधेरा लेकर आएगा
किसी बात के होने या हो जाने में उतना ही अंतर है जितना धरती और आकाश में सपना देखना और वास्तव की धरती पर अपने सपने को जीना किसी युग परिवर्तन से कम नहीं होता
हर आँख सपना देखती है हर मानव अपने सपने को जीने की जी तोड़ कोशिश करता है पर ऐसा क्यों ? की कुछ ही अपने सपनो को जी पाते हैं अंतर यही होता है कोशिश तो होती है पर दृढ़ इच्छाशक्ति का अभाव उन्हें अपनी मंजिल पर पहुँचने से पहले हारा हुआ बना देता है
दृढ इच्छाशक्ति असंभव को भी संभव बनाने का बल रखती है कहते हैं where there is a will there is way ,but I can say where there is a strong will there is a way kyunki will to sabke pass hota hai per strong will kisi ek ke paas hota hai aur vahi iteehaas rachata hai.
हारना गलत नहीं परंतु हारे बिना जीत का स्वाद भी नहीं मिलता
हर हार अपने आप में जीत छुपाये होती है जरूरत होती है उसे परखने और पहचानने की
गलतियाँ करना मानव स्वाभाव है गलतियों से सीखना उच्च कोटी के मानव का स्वभाव है और गलतियाँ कर उसे स्वीकार न करना शैतानियत और अहंकार का प्रतीक ऐसे मानव को मारने की नहीं बल्कि दया औ करूणा की दृष्टी से देखना चाहिए क्योंकि उन्हें उनकी शैतानियत औ अहंकार ही मार डालते हैं
जीवन के प्रति हर मानव का अपना अलग दृष्टिकोण होता है कुछ लोग बुद्धि पर भरोसा कर अपना निर्णय लेते हैं कुछ ह्रदय से ,केवल बुद्धि या ह्रदय से लिए गए निर्णय अधिकतर गलत होते है और ९९ प्रतिशत मानव इस तरह के निर्णय से कष्टों का सामना करते हैं परंतु जो मानव ह्रदय औ बुद्धि दोनों के समिश्रण से अपने जीवन का फैसला लेते हैं वे ९९ प्रतिशत अपने जीवन में सफल होते हैं क्योंकि बुद्धि तार्किकता और ह्रदय भावना का प्रतीक है और जो दोनों के समिश्रण से अपने जीवन के फैसले लेते हैं वे कभी विफल नहीं होते इसके साथ ही दूरदृष्टि भी उतना ही महत्त्व रखती है भविष्य में होनेवाले परिणामों को ध्यान में रखकर लिया गए निर्णय कभी गलत नहीं होते जो और आज की पीढ़ी इस सोच से कोसों दूर है
मानव शरीर पंचभूतों से बना है अग्नि ,वायु ,मिट्टी (धरती ) आकाश औ जल अग्नि - ज्वलन ,वायु -कर्मशीलता ,धरती - धैर्य ,आकाश- विशालता तथा जल- निर्मलता का प्रतीक है जिस तरह सोना आग में तपकर खरा होता है उसी प्रकार अनेक कष्टों औ दुखों को सह कर मानव सच्चा मानव बनाता है बशर्ते इन कष्टों और दुखों से घबराकर वह अन्याय ,अधर्म ,अनैतिक ,क्रूरता तथा झूठ का मार्ग न अपनाये
धन्यवाद
मंजू राय
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