मैं जानता हूँ – पंकज त्रिवेदी (ओपन बुक ऑनलाइन) माह की श्रेष्ठ रचना पुरस्कार)
मैं जानता हूँ कि
मैं शाश्वत नहीं हूँ और न कुछ भी मेरे बस में
अपने आप को सिद्ध करने की जद्दोजहद में
खुद को घसीटे जा रहा हूँ मैं और मैं हूँ यही
सुकून को पाने के लिये मैं कर्म किये जाता हूँ
मैं जानता हूँ कि
कुछ भी न करने से अच्छा है कुछ तो करें हम
जो न केवल हमारे लिये हो मगर सार्वजनिक हो
जिस से प्यार का सन्देश फैले और खुद पे गर्व
अपनी भावनाओं को लिखकर खुद से संवाद करें
मैं जानता हूँ कि
कलमों की भीड़ में हम कुछ भी नहीं है फिर भी
भीड़ में कहीं कुछ अलग सी चमक ही पहचान है
दिल से उभरती संवेदना ही अभिव्यक्ति है मेरी
जो मन का बोज उतारकर अपनों से मिलाती है
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