Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरा दिल हमेशा उदास रहता है

 
मेरा दिल हमेशा उदास रहता है....
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 दिल को बहुत दर्द दे गई यह कविता। शायद यही कविता तुम्हारी हो सकती है और मेरी भी।
साथ रहने से कोई साथ नहीं रह पाता, साथ होने से वो सबकुछ होता रहता है सहज भाव से जो साथ रहकर भी नहीं हो पाता। 
मगर हाँ, भावों को उकेरता हूँ और तुम्हें भी।
क्या पता हम कौन है और जाने भी क्यूँ? हम जो है, वैसे ही रहें। एक कमरे में साथ न रह पाए तो भी साथ रह सकें। यह भी तो जीवन है न?
ज़रूरतें खत्म नहीं होती और होनी भी नहीं चाहिए। ज़रूरतें जीवन का अभिन्न अंग है। इसलिए ज़रूरतें ही हमें जोड़कर रखती है मगर उसमें केवल समर्पण और प्रेम हो। 
बाकी सब सहज सरल हो जाता है। जिस पल जो मिला वो हमारी नियति का हिस्सा है और उसका भी।
स्वीकार करो और चलते रहो। यही जीवन है।
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पंकज त्रिवेदी


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