मेरे
होने न होने के
बीच का समय
खिड़कियों से
झाँकती रहो तुम
काले बादल उमड़ते
अंदर-बाहर, तेरे-मेरे
बारिश बंद होने से
पेड़ों के पत्ते मुस्कुराते
पवन की हल्की सी
झप्पियाँ भी स्नेह बरसाती
मेरे
होने का अहसास हर पल
न होने के बीच दरवाज़े की
खुलने-बंद होने की आवाज़
जोड़ देती हैं स्मृतियाँ !
*
पंकज त्रिवेदी
5 July 2018
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