Pankaj Trivedi
मेरी मज़ार पे तेरा चुपके से आना
सुकून-ए-कमाल को जैसे पा जाना
कायल थे हम भी तुम्हारे जमाल पर / (जमाल=सुन्दरता )
अवाम की भीड़ में हमारा खो जाना
कुबूल-ए-मोहब्बत के मौके बहुत मिले
मगर मोहब्बतें सेराब में उलझ जाना /( सेराब=सींचना )
परिंदा आकर बैठता है तुम्हारी कब्र पर
वोही बाशिंदा था जो हमारे बीच खलना
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(* बाशिंदा=निवासी / खलना= अखरना, खटकना)
- पंकज त्रिवेदी (3 July 2014)
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