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नेकदिल इंसान

 
नेकदिल इंसान    (बोध कथा) - पंकज त्रिवेदी 
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बचपन में दादी माँ एक बोधकथा सुनाती थी | आज वो याद आ गयी | 
एक आदमी ने सोचा कि पानी की किल्लत है, कुआँ खोद लूं | शुरू में बहुत से लोगों से सलाह-मशवरा किया | कुछ कहने लगे; "तुम मूर्ख हो, अकेले कुआँ खोदने से कब पूरा होगा और कब पानी निकलेगा?"
किसी ने कहा; "अपने आप पर भरोसा रखो और सच्ची नियत, लगन और मेहनत से काम करो | पानी निकलेगा और वो भी मीठा होगा.. |" 
उस आदमी ने कुआँ खोदना शुरू तो किया मगर अधूरे मन से ... उनके मन में हमेशा दुविधा रहती कि मैं कुआँ खोदना शुरू तो कर दिया मगर काम पूरा नहीं कर पाया तो लोग हँसेंगे | काम पूरा भी कर लिया मगर पानी नहीं निकला तो ?  काम हो गया, पानी भी निकला मगर खारा पानी निकला तो...?
अविश्वास से भरे उस आदमी ने महीनों की मेहनत के बाद 99-फूट की गहराई का कुआँ खोद लिया | 
कुछ लोगों ने उस दौरान कहा; "तुमने इतनी मेहनत की मगर पानी नहीं निकला.. क्या बेकार की मज़दूरी की और अंत में तो तुम विफल हो गए... " 
वो आदमी निराश होकर बैठ गया.. ऐसे में एक नेकदिल इंसान वहाँ से निकला | 
उनहोंने सर पे हाथ धरे उस आदमी को कहा; "भाई ! क्या हुआ? निराश क्यों?"
उस आदमी ने सारी बात कही | 
नेकदिल इंसान ने कहा; "मैं कोशिश करता हूँ... शायद कुछ हों... "
वो आदमी उसे देखता रहा | नेकदिल इंसान ने दृढ़ निश्चय और लगन से खुदाई का काम शुरू किया | उनका आत्मविश्वास बुलंद था और मन ही मन प्रार्थना करता था कि मेरी मेहनत से अगर मीठा पानी निकलेगा तो न जाने कितनों को पानी मिलेगा | 
नेकदिल इंसान ने सिर्फ एक फूट की खुदाई की और पानी का फव्वारा हुआ... ! 
वो निराश आदमी दंग रह गया और फिर नाचने लगा | उसने उस नेकदिल इंसान को कहा कि  -"मैंने 99-फूट की गहराई तक मेहनत की मगर पानी नहीं आया और तुमने सिर्फ एक फूट ... ये क्या चमत्कार कर दिया ?"
तब उस आदमी ने सिर्फ इतना ही कहा - "मैंने दूसरों की भलाई के लिए सोचा और सच्चे मन से काम किया | मेरा आत्मविश्वास इसलिए अडिग था क्योंकि मेरा कोइ स्वार्थ नहीं था | मैंने तो सिर्फ एक फूट की खुदाई की है मगर जो कुछ दिया वो तो ईश्वर ने दिया और ये तुम्हारी ही मेहनत का परिणाम है | 
वो आदमी उस नेकदिल इंसान को देखता रहा और वो इंसान धीरेधीरे चला गया |
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