Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

निज संबंध निज का अकाल

 
निज संबंध निज का अकाल
निज बंधन निज का महाल
निज का ताल निज आत्मन
निज  मोहनी निज पर प्रपात
निज  केवल निज  लंब-प्रलंब 
 निज दृष्टा प्रथम निज ही द्वंद 
निज  धरा निज अंबर असीम 
निज जल-वायु निज की अगन
निज ही असीम निज का विस्तार
निज राज-काज निज ही उत्पात
निज विहीन निज का ये साक्ष्य 
निज ही संभव निज ही प्रमाण
निज ही मुक्त निज अपरंपार
निज ही मुक्ति निज तेज धार
निज उज्ज्वल निज का चैतन्य
निज ही सत्य निज में है परब्रह्म
*
पंकज त्रिवेदी
02 जनवरी 2020

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ