मैंने फूल की ख़ुशबू को महसूस किया है. फूल को कभी डाली से अलग नहीं किया है. प्रकृति के नियमानुसार ख़ुशबू को हम बाँध नहीं सकते.
ऐसा ही इंसान का हैं. वो अपनी संवेदनशीलता, प्यार, समर्पण से ख़ुशबू फैला सकता है.
किसी की खुशी में अपनी खुशी को न्योच्छावर करने में हमें भी खुशी ही मिलेगी. किसी ने हमें सम्मान दिया या नहीं, किसीने चाहा या नहीं. यह सब हमारे मन को बहलाने की बात है.
बात सिर्फ इतनी है -
आपने किसी के लिए कुछ किया? आपने किसी को स्नेह दिया? आपने किसी से मूसलाधार बारिश की तरह प्यार किया?
किसी प्रकार की आशा-अपेक्षा के बिना उनके लिए दुआ करें तो यही सच्चा प्यार है. उनके सुख की कामना करते हुए भी हम खुश रह सकते हैं.
प्यार इतना करो कि वो खुद आपको चाहने लगे...
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पंकज त्रिवेदी
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