सत्य
मेरे पास है, तेरे पास है
सबके पास है सत्य !
मगर
सत्य यही है कि -
हम सत्य को लेकर
शौक से चलते हैं,
सत्य के लिए बहुत कुछ कहते हैं !
क्यूँकि -
सत्य सिर्फ कहने-बोलने की चीज बन गया है
सत्य सिर्फ भाषणों में सुनाई देता है
सत्य के लिए इतिहास को पलटना अच्छा लगता है
सत्य की बात कहने से हम विद्वान् बन जाते हैं !
सत्य
है भी और नहीं भी !
सत्य को लेकर हम सभी एक-दूसरे को धोखा देते है
सत्य को लेकर हम निहित स्वार्थ को छुपा लेते है
सत्य के नाम हम कितनों का विश्वास तोड़ देते है !
बस भी करो -
बस यही है कि 'सत्य' को हमने मज़ाक बना रखा है
और
यही 'सत्य' है !

पंकज त्रिवेदी
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