सत्य – पंकज त्रिवेदी
@
सत्य क्या है? सत्य यानि जो है समकालिन। जो हमने देखा है, जो समझा है, जो हम जी रहे हैं । शायद वही सत्य है।
सत्य यानि जो गहन हैं, जिसे किसी कालखंड से कोइ भी लेनदेन नहीं।
जो समझ में आता है या फिर आता ही नहीं !
फिर भी - जिसका अहसास होता है हमें। जिसे हम बयाँ नहीं कर सकतें मगर हमारे बीच जो है, हमारे साथ है। हमें हर पल सीखाता है, गिराता है कभी और आगे भी बढाता है। सोचने-समझाने पर मजबूर करता है, फिर भी सत्य है।
असत्य भी तो सत्य का हिस्सा हैं क्योंकि उनकी उपस्थिति भी सत्य है। उनका भी अस्तित्व है। आख़िर ये सत्य क्या है?
जो हर पल हमें साथ देकर भी हमसे अलिप्त रहें। निराकार अस्तित्त्व के साथ पलपल हमें डराता रहे।
श्रद्धा, भक्ति और विश्वास को दिखाकर अपनी मनमानी करें। सत्य, सत्य है या भ्रामक? ये भ्रामकता के बीच भी अपने ही आँखें दिखाते है हमें। नींद में भी सत्य है और सपने में भी। क्यूंकि सपने कभी-कभार सच बन जाते हैं। तब यही सत्य हँसता है हमारे सामने और साबित करता है खुद को। मेरा लिखना, आपका पढ़ना भी सत्य है।
सत्य यानि तुम, सत्य यानि मैं और हमारे अंदर रही वह आत्मा। जो इस सत्य पर सोचने को मजबूर करती है।
यही सत्य है कि - सत्य है। मैं हूँ और तुम हो....!!
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY